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अमेरिकन फास्ट फूड का भारत में करोङों का कारोबार होने के बाद भी ये संघर्षरत क्यूँ है

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भारत में फास्ट फूड का कारोबार लगभग 8,500 करोङ का है जिसमें कि हर साल 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है। एसोचैम के अनुसार 2020 तक यह कारोबार बढ़कर 2500 करोङ तक पहुँच जाएगा। फास्ट फूड विदेशों में खासकर अमरिका में बहुत ही मशहूर है भारत में फास्ट फूड का चलन नब्बे के दौर में शुरु हुआ उसके पहले तक यह केवल सभ्रांत लोगों के पहुच तक ही था किन्तु नब्बे के दौर में इसकी पहुच आम तबके में शुरु हुई और कुछ ही सालों में यह महानगरों में रहने वालों के जुबान पर छा गया आज भारत में कुल 300 मैकडोनल्डस खुल चुका है साथ ही 2017 तक भारत के 264 शहरों में कुल 1,126 डोमिनोज स्टोर खुल चुके हैं। सन् 2013 में अमेरिका तथा इंग्लैण्ड के बाद भारत डोमिनोज का तीसरा सबसे बङा बाजार था जो दिसम्बर 2014 में बढ़कर दूसरे स्थान पर आ गया। इसके बाद भी कुछ कारणों से अमेरिकन फास्ट फूड भारत में अब भी संघर्षरत हैं

अमेरिकी फास्ट फूड कम्पनियों का भारतीय बाजार में प्रवेश का कारण-

समय के साथ-साथ भारतीयों के रहन-सहन तथा खान-पान आदि में बहुत परिवर्तन आया है। अर्थव्यवस्था में बदलाव के साथ ही अब भारतीय मध्यवर्गीय परिवार भी अपने खान-पान पर अपने कमाई का एक बङा भाग खर्च करने की क्षमता रखता है और इसके लिए हमेशा तैयार रहता है खासकर जब से पुरूषों के साथ ही साथ महिलाओं को भी एक्सपोजर मिलना शुरु हुआ है चाहे उनका बाहर निकल कर काम करना हो अथवा कोई अन्य जिम्मेदारी हर जगह महिलाओं की भागिदारी बढ़ी है इसके साथ ही भारतीयों का विदेशी कुजिन को लेकर आकर्षण में इजाफा हुआ है। लोग भारतीय तथा क्षेत्रीय खाने के साथ ही अब अलग-अलग विदेशी स्वाद के लिए भी ललायित रहते हैं और खासकर फास्ट फूड को लेकर जिसे चलते-फिरते आसानी से खाया जा सकता है और ये एक बङी वजह है जिसके कारण अमरिकी फास्ट फूड कम्पनियाँ भारतीय बाजार की तरफ आकर्षित हो रही हैं।

.चुनौतियाँ- [restrict]

किसी भी रेस्तराँ के लिए सबसे बङी चुनौती अपने स्वाद से ग्राहकों को आकर्षित करना करना होता है और खासकर जब कोई रेस्तराँ विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने तथा अपने विस्तार के लिये अपने शाखाओं का विस्तार अन्य देशों में करने का जोखिम उठाती है तब उसके सामने बहुत सारी चुनौतियाँ खङी होती हैं खासकर वहाँ के लोगों के स्वाद को पहचानना तथा उसको प्रदान करना, वहाँ के बाजार को समझना और उसके अनुरूप अपनी रणनीति बनाना। इसका उदाहरण मैकडोनल्डस तथा डोमिनोज हो सकते हैं जिन्होंने स्थानीय लोगों के स्वाद के हिसाब से कुछ खास डिशेज प्रदान की जैसे मैकआलू टिक्की, मैकस्पाइसी पनीर तथा डोमिनोज का पेपी पनीर, पनीर मखनी आदि भारतीयों के स्वाद के अनुसार मेन्यू में शामिल किया गया।

स्वाद का अन्तर-

अमेरिकन फास्ट फूड का भारत में अपनी पैठ बनाने में संघर्ष का एक सबसे बङा कारण उसका स्वाद भी है जहाँ कुछ लोगों को इसका स्वाद बेहद ही लुभाता है वहीं ज्यादातर भारतीयों के लिये स्वादहीन है और इसका कारण है भारतीयों को अपना स्थानीय स्वाद का ज्यादा पसंद होना। भारतिय भोजन मसालेदार तथा चटपटे होते हैं उसके तुलना में फास्ट फूड का स्वाद कई बार फीका पङ जाता है। और साथ ही ज्यादातर भारतीयों का शाकाहारी होना भी अमेरिकी फास्ट फूड के संघर्ष की एक बङी वजह हो सकती है।

निम्नवर्ग तथा छोटे शहरों के पहुंच से दूर-

भारत में मैकडोनल्डस के 261, डोमिनोज के 1,126, केएफसी के 296, क्रिस्पी क्रीम के 24, डंकिन डोनट्स के 55, तथा पिज्जा हट के 350 आउटलेट्स हैं फिर भी ज्यादातर छोटे शहरों में इसकी पहुँच अभी तक नहीं है जबकि इसकी तुलना में अगर हम चाइनीज फूड की बात करें तो इसके कोई शक नहीं कि इसका स्वाद हर भारतीय के जुबान पर चढ़ चुका है और इसका मुख्य कारण इसका महानगरों से लेकर छोटे शहरों और यहाँ तक कि दूरदराज के गावों में भी इसकी पहुँच होना है।

फास्ट फूड का अस्वास्थ्यकर होना-

जैसा कि हम सब जानते हैं कि फास्ट फूड को मोटापे कि एक बङी वजह माना जाता है और मोटापा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आजकल के लोग खासकर युवा पीढ़ी अपने हेल्थ तथा बॉडी को लेकर बहुत ही सजग है और उनको पता है कि फास्ट फूड उच्च वसायुक्त होता है इसलिए लोग ज्यादातर इसको खाना अवॉइड करते हैं अतः यह भी एक बङी वजह है जिसके कारण फास्ट फूड कम्पनियों को भारत में अपने पैर जमाने में संघर्ष करना पङ रहा है।

बाहरी खाने को अवॉइड करना-

ज्यादातर भारतीय परिवार बाहर जाकर खाने को पैसे तथा समय की बर्बादी समझते हैं और बाहर के महंगे खाने पर खर्च नहीं करना चाहते उनके हिसाब से धर का खाना ज्यादा स्वादिष्ट तथा पौष्टिक होता है। और फास्ट फूड को लेकर कुछ खासकर केएफसी के खाने को खाने को लेकर आये दिन कुछ ना कुछ पढ़ने तथा सुनने को मिलता है जैसा कि कुछ समय पहले चंडीगढ़ में केएफसी में एक ग्राहक के चिकन राइस बाउल में बाल निकलने पर भी रेस्टोरेंट द्वारा उसे चेंड नहीं करना जिससे कि कस्टमर को उपभोक्ता फोरम का रुख करना पङा। इन सब बातों का भी कहीं ना कहीं असर पङता है।

निष्कर्ष-

इन सब के बाद भी अगर हम गौर करें तो पता चलता है कि भारत का एक बङा तबका है जो फास्ट फूड को पसंद करता है और उनमे कालेज गोइंग युवा तथा ऑफिस में काम करने वालों की तादाद ज्यादा है जिनको समय की कमी के कारण फास्ट फूड खाना एक अच्छा तथा कई बार सस्ता विकल्प लगता है। अतः भारत में आने वाले समय में फास्ट फूड इंडस्ट्री को और बढ़ावा मिलेगा

अतः

यदि आप भी फास्ट फूड का व्यवसाय करते हैं अथवा करने की सोच रहे हैं तो थोङे से गुणवत्ता तथा स्वाद में नये-नये परिवर्तन लाकर इस व्यापार को सफलता की नई ऊँचाईयों पर पहुँचा सकते हैं

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The FMCG Marketer's Guide to First-party Data Collection

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